नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का महत्व

नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन अभ्यंग स्नान करने का भी विशेष महत्व है।

अभ्यंग स्नान क्या है?

अभ्यंग स्नान एक प्रकार का स्नान है जिसमें शरीर पर उबटन लगाकर नहाया जाता है। इस उबटन में हल्दी, दही, तिल का तेल, बेसन, चंदन, आदि जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है।

अभ्यंग स्नान के लाभ:

अभ्यंग स्नान के कई लाभ हैं। यह त्वचा को निखारने, शरीर को स्वस्थ रखने, और मानसिक शांति प्रदान करने में मदद करता है।

कैसे करें अभ्यंग स्नान?

अभ्यंग स्नान करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर शरीर पर तिल के तेल या सरसों के तेल से मालिश करें। 15 से 20 मिनट तक मालिश करने के बाद, हल्दी, चंदन, तिल, चावल, और दही मिलाकर उबटन तैयार करें। इस उबटन को पूरे शरीर पर लगाएं और 15 से 20 मिनट तक सूखने दें। फिर हल्के गर्म पानी से स्नान कर लें।

नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का महत्व


निष्कर्ष:

अभ्यंग स्नान एक प्राचीन भारतीय स्नान विधि है जो कई लाभ प्रदान करती है। नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान करने का विशेष महत्व है।