Pet me jalan ka gharelu upchar- हम जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है
Acidity hindi meaning सरल रूप में जलन पर कई बार यह एसिड आवश्यकता से अधिक मात्रा में निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में तेज़ जलन और फैरिंक्स और पेट के बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है
इस हालत को एसिडिटी या एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है
Acidity ke ilaj upay in hindi कारण लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
01. ठंडे पेयों (aerated drinks) व चाय, काफी के सेवन से बचें. इनके स्थान पर प्राकृतिक व हर्बल पेय का सेवन करें.
02. गर्म/कुनकुने पानी का नियमित रूप से सेवन करें.
03. मौसम के अनुसार छिटके वाले पके केले, ककड़ी/खीरा व तरबूज का सेवन करें. तरबूज का रस काफी लाभप्रद होता है.
04. 'नारियल-पानी-सेवन' काफी लाभप्रद होता है.
05. ठंडे दूध के सेवन से लाभ मिलता है.
06. रात का भोजन, रात्रिशयन के कम से कम 3-4 घंटे पहले कर लें.
07. हरएक भोजन की मात्रा कम-कम लिया करें व दिन में प्रत्येक दो भोजनों के बीच का अंतराल 3 घंटे से ज्यादा न रखें.
08. तीखे मिर्च, मसाले, अचार, चटनी, सिरका व तेल-घी युक्त गरिष्ठ आहार के सेवन से बचें.
09. भोजन करने के आधा/एक घंटे बाद पुदीना की कुछ पत्तियाँ डालकर उबला हुआ एक गिलास पानी पियें.
10. लौंग के एक दाने को चूसने से भी प्रभावी लाभ मिलता है.
11. शकर से बचें. गाँव के देशी गुड़, बादाम, नींबू, व दही आदि का अल्प मात्रा में सेवन करें.
12. धूम्रपान व अन्य सभी प्रकार के नशे, शरीर एवं रक्त में एसिडिटी को तेजी से बढ़ाते हैं अतः इनका सेवन न करें.
13. लोंग, अदरक, छोटी हर्र्ड़ आदि चूसने से मुँह में बनने वाला सेलाईवा (लार) जलन (heartburn) में काफी लाभप्रद होता है.
14. अदरक व शहद का सेवन जिस रूप में भी हो सके नियमित रूप से करना चाहिये.
15. अन्न, घी-तेल व बारीक पिसे हुये आहार की तुलना में हरी साग-भाजी, सलाद, फल व मोटे/दरदरे आहार को वरीयता देना चाहिये.
16. एसिडिटी की हालात में तुरंत लाभ लेने हेतु 4 से 6 गिलास गरम पानी पीकर उल्टी करें. यह क्रिया तब तक दोहराएँ जब तक कि उल्टी में खट्टा पानी आना बंद न हो जावे. ध्यान रखें! जिन्हें हृदयरोग, उच्चरक्तचाप व पेट में अल्सर की शिकायत हो उन्हें वमन-क्रिया (उल्टी) नहीं करना चाहिये.
एसिडिटी होने के कारण:-
एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवनकरना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं।
आमाषय सामान्यत: भोजन पचाने हेतु जठर रस का निर्माण करता है। लेकिन जब आमाषयिक ग्रंथि से अधिक मात्रा में जठर रस बनने लगता है तब हायडोक्लोरिक एसिड की अधिकता से एसिडिटी की समस्या पैदा हो जाती है। बदहजमी .सीने में जलन और आमाषय में छाले इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी आपको परेशान कर सकती है।
अधिक शराब का सेवन करना।
अधिक मिर्च-मसालेदार भोजन-वस्तुएं उपयोग करना
मांसाहार.
कुछ अंग्रेजी दर्द निवारक गोलियां भी एसिडिटी रोग उत्पन्न करती हैं।
भोजन के बाद अम्लता के लक्षण बढ जाते हैं.
रात को लेटने पर भी एसिडिटी के लक्षण उग्र हो जाते हैं।
एसिडिटी के लक्षण pet me jalan ke lakshan in hindi
*.पेट में जलन का एहसास
*.सीने में जलन
*.मतली का एहसास
*.डकार आना
*.खाने पीने में कम दिलचस्पी
*.पेट में जलन का एहसास
एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार:-
*.अदरक का रस:
नींबू और शहद में अदरक का रसमिलाकर पीने से, पेट की जलन शांत होती है।
*.अश्वगंधा:
भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
*.बबूना:
यह तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
*.चन्दन:
एसिडिटी के उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान करता है।
*.चिरायता:
चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
*.इलायची:
सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
*.हरड:
यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
*.लहसुन:
पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
*.मेथी:
मेथी के पत्ते पेट की जलन में सहायक सिद्ध होते हैं।
*.सौंफ:
सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है। (यहाँ क्लिक से जाने पेट्रोल पंप वाले डालते हैं आपकी गाडी में कम Petrol)
एसिडिटी के घरेलू उपचार:-
*.विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
*.व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
*.खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
*.बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करनेमें मदद करता है।
*.खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
*.पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
*.नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
*.तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
*.नारियल पानी का सेवन अधिक करें
* शाह जीरा अम्लता निवारक होता है। डेढ लिटर पानी में २ चम्मच
शाह जीरा डालें । १०-१५ मिनिट उबालें। यह काढा मामूली गरम हालत में
दिन में ३ बार पीयें। एक हफ़्ते के प्रयोग से एसिडीटी नियंत्रित हो जाती है।
* भोजन पश्चात थोडे से गुड की डली मुहं में रखकर चूसें। हितकारी उपाय है।
* सुबह उठकर २-३ गिलास पानी पीयें। आप देखेंगे कि इस उपाय से अम्लता
निवारण में बडी मदद मिलती है।
* तुलसी के दो चार पत्ते दिन में कई बार चबाकर खाने से अम्लता में लाभ होता है।
* एक गिलास जल में २ चम्मच सौंफ़ डालकर उबालें।रात भर रखे। सुबह छानकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीयें। एसिडीटी नियंत्रण का उत्तम उपचार है।
* आंवला एक ऐसा फ़ल जिससे शरीर के अनेकों रोग नष्ट होते हैं। एसिडीटी निवारण हेतु आंवला क उपयोग करना उत्तम फ़लदायी है।
* पुदिने का रस और पुदिने का तेल पेट की गेस और अम्लता निवारक कुदरती पदार्थ है। इसके केप्सूल भी मिलते हैं।
* फ़लों का उपयोग अम्लता निवारंण में महती गुणकारी है। खासकर केला,तरबूज,ककडी और पपीता बहुत फ़ायदेमंद हैं।
* ५ ग्राम लौंग और ३ ग्राम ईलायची का पावडर बनालें। भोजन पश्चात चुटकी भर पावडर मुंह में रखकर चूसें। मुंह की बदबू दूर होगी और अम्लता में भी लाभ होगा।
* दूध और दूध से बने पदार्थ अम्लता नाशक माने गये हैं।
* अचार,सिरका,तला हुआ भोजन,मिर्च-मसालेदार चीजों का परहेज करें। इनसे अम्लता बढती है। चाय,काफ़ी और अधिक बीडी,सिगरेट उपयोग करने से एसिडिटी की समस्या पैदा होती है। छोडने का प्रयास करें।
* एक गिलास पानी में एक नींबू निचोडें। भोजन के बीच-बीच में नींबू पानी पीते रहें। एसिडिटी का समाधान होगा।
* आधा गिलास मट्ठा( छाछ) में १५ मिलि हरा धनिये का रस मिलाकर पीने से बदहजमी ,अम्लता, सीने मे जलन का निवारन होता है।
* सुबह-शाम २-३ किलोमिटर घूमने से तन्दुरस्ती ठीक रहती है और इससे अम्लता की समस्या से निपटने में भी मदद मिलती है।
Acidity hindi meaning सरल रूप में जलन पर कई बार यह एसिड आवश्यकता से अधिक मात्रा में निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में तेज़ जलन और फैरिंक्स और पेट के बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है
इस हालत को एसिडिटी या एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है
Acidity ke ilaj upay in hindi कारण लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार
01. ठंडे पेयों (aerated drinks) व चाय, काफी के सेवन से बचें. इनके स्थान पर प्राकृतिक व हर्बल पेय का सेवन करें.
02. गर्म/कुनकुने पानी का नियमित रूप से सेवन करें.
03. मौसम के अनुसार छिटके वाले पके केले, ककड़ी/खीरा व तरबूज का सेवन करें. तरबूज का रस काफी लाभप्रद होता है.
04. 'नारियल-पानी-सेवन' काफी लाभप्रद होता है.
- यहाँ क्लिक कर - जाने बैठकर खाना खाने के फ़ायदे health benefits
05. ठंडे दूध के सेवन से लाभ मिलता है.
06. रात का भोजन, रात्रिशयन के कम से कम 3-4 घंटे पहले कर लें.
07. हरएक भोजन की मात्रा कम-कम लिया करें व दिन में प्रत्येक दो भोजनों के बीच का अंतराल 3 घंटे से ज्यादा न रखें.
08. तीखे मिर्च, मसाले, अचार, चटनी, सिरका व तेल-घी युक्त गरिष्ठ आहार के सेवन से बचें.
09. भोजन करने के आधा/एक घंटे बाद पुदीना की कुछ पत्तियाँ डालकर उबला हुआ एक गिलास पानी पियें.
10. लौंग के एक दाने को चूसने से भी प्रभावी लाभ मिलता है.
11. शकर से बचें. गाँव के देशी गुड़, बादाम, नींबू, व दही आदि का अल्प मात्रा में सेवन करें.
12. धूम्रपान व अन्य सभी प्रकार के नशे, शरीर एवं रक्त में एसिडिटी को तेजी से बढ़ाते हैं अतः इनका सेवन न करें.
13. लोंग, अदरक, छोटी हर्र्ड़ आदि चूसने से मुँह में बनने वाला सेलाईवा (लार) जलन (heartburn) में काफी लाभप्रद होता है.
14. अदरक व शहद का सेवन जिस रूप में भी हो सके नियमित रूप से करना चाहिये.
15. अन्न, घी-तेल व बारीक पिसे हुये आहार की तुलना में हरी साग-भाजी, सलाद, फल व मोटे/दरदरे आहार को वरीयता देना चाहिये.
16. एसिडिटी की हालात में तुरंत लाभ लेने हेतु 4 से 6 गिलास गरम पानी पीकर उल्टी करें. यह क्रिया तब तक दोहराएँ जब तक कि उल्टी में खट्टा पानी आना बंद न हो जावे. ध्यान रखें! जिन्हें हृदयरोग, उच्चरक्तचाप व पेट में अल्सर की शिकायत हो उन्हें वमन-क्रिया (उल्टी) नहीं करना चाहिये.
एसिडिटी होने के कारण:-
एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवनकरना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं।
आमाषय सामान्यत: भोजन पचाने हेतु जठर रस का निर्माण करता है। लेकिन जब आमाषयिक ग्रंथि से अधिक मात्रा में जठर रस बनने लगता है तब हायडोक्लोरिक एसिड की अधिकता से एसिडिटी की समस्या पैदा हो जाती है। बदहजमी .सीने में जलन और आमाषय में छाले इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी आपको परेशान कर सकती है।
अधिक शराब का सेवन करना।
अधिक मिर्च-मसालेदार भोजन-वस्तुएं उपयोग करना
मांसाहार.
कुछ अंग्रेजी दर्द निवारक गोलियां भी एसिडिटी रोग उत्पन्न करती हैं।
भोजन के बाद अम्लता के लक्षण बढ जाते हैं.
रात को लेटने पर भी एसिडिटी के लक्षण उग्र हो जाते हैं।
एसिडिटी के लक्षण pet me jalan ke lakshan in hindi
*.पेट में जलन का एहसास
*.सीने में जलन
*.मतली का एहसास
*.डकार आना
*.खाने पीने में कम दिलचस्पी
*.पेट में जलन का एहसास
एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार:-
*.अदरक का रस:
नींबू और शहद में अदरक का रसमिलाकर पीने से, पेट की जलन शांत होती है।
*.अश्वगंधा:
भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
*.बबूना:
यह तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
*.चन्दन:
एसिडिटी के उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान करता है।
*.चिरायता:
चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
*.इलायची:
सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
*.हरड:
यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
*.लहसुन:
पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
*.मेथी:
मेथी के पत्ते पेट की जलन में सहायक सिद्ध होते हैं।
*.सौंफ:
सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है। (यहाँ क्लिक से जाने पेट्रोल पंप वाले डालते हैं आपकी गाडी में कम Petrol)
एसिडिटी के घरेलू उपचार:-
*.विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
*.व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
*.खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
*.बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करनेमें मदद करता है।
*.खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
*.पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
*.नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
*.तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
*.नारियल पानी का सेवन अधिक करें
* शाह जीरा अम्लता निवारक होता है। डेढ लिटर पानी में २ चम्मच
शाह जीरा डालें । १०-१५ मिनिट उबालें। यह काढा मामूली गरम हालत में
दिन में ३ बार पीयें। एक हफ़्ते के प्रयोग से एसिडीटी नियंत्रित हो जाती है।
* भोजन पश्चात थोडे से गुड की डली मुहं में रखकर चूसें। हितकारी उपाय है।
* सुबह उठकर २-३ गिलास पानी पीयें। आप देखेंगे कि इस उपाय से अम्लता
निवारण में बडी मदद मिलती है।
* तुलसी के दो चार पत्ते दिन में कई बार चबाकर खाने से अम्लता में लाभ होता है।
* एक गिलास जल में २ चम्मच सौंफ़ डालकर उबालें।रात भर रखे। सुबह छानकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीयें। एसिडीटी नियंत्रण का उत्तम उपचार है।
* आंवला एक ऐसा फ़ल जिससे शरीर के अनेकों रोग नष्ट होते हैं। एसिडीटी निवारण हेतु आंवला क उपयोग करना उत्तम फ़लदायी है।
* पुदिने का रस और पुदिने का तेल पेट की गेस और अम्लता निवारक कुदरती पदार्थ है। इसके केप्सूल भी मिलते हैं।
* फ़लों का उपयोग अम्लता निवारंण में महती गुणकारी है। खासकर केला,तरबूज,ककडी और पपीता बहुत फ़ायदेमंद हैं।
* ५ ग्राम लौंग और ३ ग्राम ईलायची का पावडर बनालें। भोजन पश्चात चुटकी भर पावडर मुंह में रखकर चूसें। मुंह की बदबू दूर होगी और अम्लता में भी लाभ होगा।
* दूध और दूध से बने पदार्थ अम्लता नाशक माने गये हैं।
* अचार,सिरका,तला हुआ भोजन,मिर्च-मसालेदार चीजों का परहेज करें। इनसे अम्लता बढती है। चाय,काफ़ी और अधिक बीडी,सिगरेट उपयोग करने से एसिडिटी की समस्या पैदा होती है। छोडने का प्रयास करें।
* एक गिलास पानी में एक नींबू निचोडें। भोजन के बीच-बीच में नींबू पानी पीते रहें। एसिडिटी का समाधान होगा।
* आधा गिलास मट्ठा( छाछ) में १५ मिलि हरा धनिये का रस मिलाकर पीने से बदहजमी ,अम्लता, सीने मे जलन का निवारन होता है।
* सुबह-शाम २-३ किलोमिटर घूमने से तन्दुरस्ती ठीक रहती है और इससे अम्लता की समस्या से निपटने में भी मदद मिलती है।