अप्रैल फूल दिवस या मूर्ख दिवस क्यों मनाया जाता है | 1 April fool ideas for whatsapp 2021

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एक पुरानी कहा सुनी इतिहास के अनुसार 

मूर्ख बनने-बनाने का दिन। इस दिन लोग मूर्ख बनाने के नये-नये तरीके अपनाते हैं। कैसे मूर्ख बनाएं? किसको बनाएं? आदि के लिए आइडिया खोजते हैं। 

वे सब हथकंडे अपनाते हैं, जिससे मूर्ख बनाया जाए। मूर्ख बनाने का सशक्त हथियार है झूठ april fool ki haqeeqat 

आज के युग में कौन झूठ बोल रहा और कौन सच? यह परखना जरा मुश्किल है। झूठ सच लगता है और सच झूठ।जब से मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ा है, तब से झूठ ने कई गुणा बढ़ोतरी कर ली है।

मोबाइल पर तो ज्ञानी से ज्ञानी भी मूर्ख बन जाता है। बीस किलोमीटर दूर बैठा व्यक्ति भी मोबाइल पर यही कहता है-दो मिनट में आ रहा हूं। पांच मिनट में पहुंच रहा हूं। नजदीक ही हूं। इत्ती स्पीड तो हवाई जहाज की नहीं होती, जित्ती इन दो,पांच मिनट वालों की होती है। झूठ हम बोलते है, बदनाम मोबाइल हो रहा है।

झूठ बोलकर हम मूर्ख बना भी देते हैं एवं बन भी जाते हैं। झूठ की बुनियाद पर तो हम महल खड़ा कर देते हैं। जिसे देख सच की इमारत भी ध्वस्त हो जाती है। 

आधुनिकता में झूठ में तो वह सामर्थ्य है कि वह लोमड़ी को भी गर्दभ बना देता है। वरना लोमड़ी को मूर्ख बनाना टेढ़ी खीर है। झूठ की कला पर कई कारोबार चल रहे हैं। कुर्सी टिकी हुई है। प्रेम-प्रसंग बना हुआ है।

न जाने झूठ पर कैसे-कैसे पुष्प खिल रहे हैं? खिला रहे हैं। सींच रहे हैं। कई तो झूठ बोलने में इत्ते पारंगत हैं कि आटे में नमक नहीं, बल्कि नमक में आटा मिला रहे हैं। झूठ तो लोगों की रग-रग में भरा पड़ा है। हमारे नेताजी का तो ब्ल्ड ग्रुप ही झूठ पॉजिटिव है। हमारे नेताजी राष्ट्रीय नेता तो हैं नहीं, जो झूठ नहीं बोलेंगे।

 मूर्ख बनाने के लिए झूठ तो बोलना ही पड़ता है। तबी बंदा अप्रैल फूल बनता है। जो झूठ बोलने में पारंगत है, वह मूर्ख बना देता है और जो पारंगत नहीं है, वह मूर्ख बन जाता है।

भले ही हम फर्स्ट अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाते हैं। किंतु रोजमर्रा की जिंदगी में नित्य हमें कोई ना कोई मूर्ख बनाता है। हम बनते हैं। बनाते हैं। दूधवाला दूध में पानी मिलावट कर मूर्ख बना रहा है। 

सब्जी वाला सड़ी-गली सब्जी चिपका कर मूर्ख बना रहा है। परचून वाला कंकड़ मिलाकर मूर्ख बना रहा है। कोई नाप-तोल,मोल-भाव में उलझाकर मूर्ख बना रहा है। पेट्रोल-डीजल के घटते-बढ़ते दाम मूर्ख बना रहे हैं। अपनी ओर आकर्षित करते विज्ञापन मूर्ख बना रहे हैं। सांवली त्वचा को गोरी करने वाली क्रीम व सफेद बालों को काला करने वाला तेल मूर्ख बना रहा है।

अच्छे दिनों का सपना। बैंक खातों में लाखों रुपये आना के जुमले, आदि मूर्ख बना रहे हैं। फूल डे बनाने के लिए, झूठ बोलना ही पड़ता है। वरना बंदा अप्रैल फूल कैसे बनेगा? फर्स्ट अप्रैल को, जो मूर्ख नहीं बनाया, वह बंदा ही क्या

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अंग्रेजो ने हमेशा से ही भारतीय सभ्यता का विनाश किया और उसको नीचा दिखाने का काम किया । इसी क्रम के तहत अंग्रेजो ने भारतीय पंचाग को कॉपी किया और उसमें कुछ फेर बदल करके अपना अलग कैलेंडर बना लिया। 

अब बात आई की साल की शुरुआत अलग करनी थी भारतीय पंचांग से तो फिर ईसा मसीह के जन्म का ताल मेल करके बना दिया और वही से पहला साल शुरू कर दिया ।। परन्तु उस एक साल से जहाँ से ये आधुनिक ईसाइयत वाला क्लेण्डेर बना उससे पहले का भी इतिहास है फिर ये कैसा सच्चा और प्रमाणित क्लेण्डेर ? 

खेर ये तो कुछ बेसिक बात हुई।। अब बारी थी की भारतीय पंचाग को खत्म करना है। उसके लिए आज के आधुनिक क्लेण्डेर के अनुसार भारतीय नव वर्ष लगभग 20 से 30 मार्च के आस पास पड़ता है कभी कभी आधुनिक कैलेन्डर से सही तालमेल नही होता तो ये कुछ दिन पहले या बाद में भी हो जाता है।

 परन्तु लगभग यही समय होता है। भारतीय सरकारी कामकाज में भी भारतीय पंचाग को 1 अप्रैल से शुरुआत मानते है । अब अंग्रेजो को भारतीय पंचाग को ख़त्म करना था तो इस 1 अप्रैल जो भारतीय पचांग के अनुसार नववर्ष की शुरुआत मानते है तब इसको अप्रैल फूल का नाम दे दिया।। मतलब भारतीय नववर्ष का पहला दिन यानि मुर्ख दिवस ..... यही अप्रैल फूल होता है ।

 इस अप्रैल फूल का आपको कोई कभी इतिहास मिलता है क्या?? ये क्यों मनाया जाता है क्या कारण है?? क्योकि अंग्रेज बोलते थे ये भारतीय मुर्ख हैं । अगर आपको कोई इसका असली इतिहास का पता है तो फिर बताइये। मैं तो यही कारण मानता हूँ। जिस भारत ने उन्हें कपड़े पहनने का सलीका सिखाया उसी भारत के लोगों को ये मुर्ख समझते हैं ....

नाम के आगे Dr. लगाने के लिए Ph.D करनी पड़ती है,
नाम के आगे MP लगाने के लिए लोकसभा सीट से चुनाव जीतना पड़ता है,
नाम के आगे Advocate लगाने के लिए  LLB का कोर्स करना पड़ता है,

लेकिन नाम के आगे श्री लगाने के लिए 😎 हिंदू वंश मे जन्म लेना पड़ता है


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