Google Jobs required education qualification salary kaise kare आदर्श कुमार को गूगल ने एक करोड़ बीस लाख रुपये सालाना वेतन पर नौकरी दी है.
दिलचस्प यह है कि पटना के आदर्श के पास आईआईटी रूड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है लेकिन वह अपना करियर बतौर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर शुरू कर रहे हैं.
आदर्श को बारहवीं के मैथ्स और कैमिस्ट्री के पेपर में पूरे 100 अंक मिले थे. मैकेनिकल से सॉफ्टवेयर तक साल 2014 में पटना के बीडी पब्लिक स्कूल से 94 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं करने के बाद उन्हें जेईई एंट्रेंस के रास्ते आईआईटी रूड़की की मैकेनिकल ब्रांच में दाखिला मिला.
फिर मुझे पता चला कि प्रोग्रामिंग वगैरह इससे ही जुड़े होते हैं. तो मैं वहां से सॉफ़्टवेयर प्रोग्रामिंग के फील्ड में चला गया.'' आदर्श ने आगे बताया, ''मैथ्स मुझे बचपन से ही बहुत पसंद आने लगा था. गणित के अलग-अलग तरह के मुश्किल सवालों को हल करने के लिए अलग-अलग तरीके से सोचना पड़ता है, ऐसा करना मुझे हाई स्कूल के दिनों से ही पसंद है. और इसी ने आगे चलकर मुझे सॉफ़्टवेयर प्रोग्रामर बनने में बहुत मदद की. यह रोज़मर्रा की जिंदगी में भी सही फैसले लेने में मेरी मदद करता है.
यूं पहुंचे गूगल
आदर्श के मुताबिक, इंजीनियरिंग के चौथे साल तक आते-आते प्रोग्रामिंग पर उनकी अच्छी पकड़ हो गई थी. उनमें आत्मविश्वास आ गया था. इस बीच कैंपस सेलेक्शन से वे एक कंपनी के लिए चुन भी लिए गए थे. लेकिन इस बीच गूगल में ही काम कर रहे उनके एक सीनियर हर्षिल शाह ने उनसे कहा कि अगर वह गूगल में नौकरी के लिए कोशिश करना चाहते हैं तो वो उन्हें रेफ़र कर सकते आदर्श ने कहा,
''उन्होंने यह कह कर मेरा हौसला बढ़ाया कि मेरे प्रोग्रामिंग स्किल्स इंटरव्यू पास करने के लिए काफी हैं. फिर मैंने गूगल में अप्लाई किया. इसके बाद लगभग दो महीने तक चले कई ऑनलाइन और हैदराबाद में हुए ऑन-साइट स्टेज टेस्ट से गुजरने के बाद मेरा चयन हुआ.'' आदर्श पहली अगस्त से गूगल के म्यूनिख (जर्मनी) ऑफ़िस में काम करना शुरू करेंगे. अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में शिरकत इस साल अप्रैल में चीन के बीजिंग में हुए प्रोग्रामिंग कॉन्टेस्ट एसीएम-आईसीपीसी कॉम्पटिशन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था.
इसमें दुनिया भर की टीमें आती हैं. इस प्रतियोगता में प्रोग्रामिंग से जुड़े प्रॉबल्म्स के कोड लिखने होते हैं. भारत की आठ टीमों में उनकी टीम को दूसरा स्थान मिला जबकि दुनिया भर की 140 टीमों में उन्हें 56वां स्थान मिला. आदर्श के लिए उनका संस्थान ही रोल मॉडल रहा है क्योंकि इंजीनियरिंग कॉलेज का माहौल, वहां के कई सीनियर ऊर्जा से लबरेज़ थे. ये सब बहुत प्रेरित करने वाला था. इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उनकी ये सलाह है,
''नौवीं-दसवीं के दौरान ही तैयारी शुरु कर देनी चाहिए. इस दौरान सिलेबस का बोझ थोड़ा कम रहता है तो इसका फायदा उठाते हुए ग्यारहवीं-बारहवीं की पढ़ाई शुरु कर देनी चाहिए. बाकी सफलता के लिए फ़ोकस करके पढ़ना तो सबसे ज़रूरी है ही.'' पांव हैं ज़मीन पर... एक करोड़ से ज्यादा का पैकेज मिलने के बाद भी आदर्श इसे बहुत बड़ी बात नहीं मानते. वह कहते हैं,
''भारत की करेंसी में एक करोड़ का पैकेज बहुत बड़ा लगता है. लेकिन विदेश के जीवन-स्तर और खर्चों के हिसाब से देखें, इसे आप यूरो या अमरीकी डॉलर में देखें तो यह एक सामान्य सा पैकेज है.'' कौन है एक करोड़ प्लस सैलरी वाली गूगल गर्ल मधुमिता क्या औरतों से भेदभाव करता है गूगल? आदर्श के मुताबिक उन्होंने अब तक ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है कि इस पैकेज से मिलने वालों पैसे से वह क्या-क्या करेंगे. फिलहाल उनके ज़ेहन में बस यह है कि उन्हें पहली कमाई से अपने छोटे भाई अमनदीप के लिए अच्छी सी विदेशी ब्रांड की घड़ी खरीदनी है.
हाई स्कूल पहुंचने के बाद उन्हें कंप्यूटर गेमिंग का शौक लगा जो इंजीनियरिंग कॉलेज में भी बदस्तूर जारी रहा. मां की फ़िक्र: विदेश में खाना कैसे खाएगा बेटा? आदर्श के पिता बीरेंद्र शर्मा बताते हैं कि उनके परिवार के लिए गूगल की करोड़ रुपए पैकेज वाली नौकरी की ख़बर कोई अचानक से मिली खुशी की ख़बर की तरह नहीं थी. ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे आदर्श एक-एक स्टेज पार करते हुए आगे बढ़ रहे थे तो उनके परिवार को भी इस सफलता का बहुत हद तक यकीन हो गया था.
वहीं आदर्श की कामयाबी के बाद उनकी मां अनीता शर्मा की चिंता यह थी कि बेटा विदेश में खाने का इंतजाम कैसे करेगा. वह बताती हैं, ''शुरुआत में मैं इस बात को लेकर बहुत परेशान थी. इसे कुछ भी पकाना नहीं आता. लेकिन जब पता चला कि कंपनी की ओर से ही खाने का इंतज़ाम किया जाएगा तो मेरी चिंता दूर हुई.'' आदर्श अपने परिवार से नौकरी के लिए विदेश जाने वाले पहले शख़्स हैं.
यह उपलब्धि भी आदर्श के परिवार के लिए ख़ास मायने रखती है. अब इस कामयाबी के सहारे आदर्श की मां अनीता की ख्वाहिश सिंगापुर घूमने की है तो आदर्श के पिता बीरेंद्र अमरीका का गूगल हेड क्वार्टर देखना चाहते हैं.
दिलचस्प यह है कि पटना के आदर्श के पास आईआईटी रूड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है लेकिन वह अपना करियर बतौर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर शुरू कर रहे हैं.
आदर्श को बारहवीं के मैथ्स और कैमिस्ट्री के पेपर में पूरे 100 अंक मिले थे. मैकेनिकल से सॉफ्टवेयर तक साल 2014 में पटना के बीडी पब्लिक स्कूल से 94 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं करने के बाद उन्हें जेईई एंट्रेंस के रास्ते आईआईटी रूड़की की मैकेनिकल ब्रांच में दाखिला मिला.
फिर मुझे पता चला कि प्रोग्रामिंग वगैरह इससे ही जुड़े होते हैं. तो मैं वहां से सॉफ़्टवेयर प्रोग्रामिंग के फील्ड में चला गया.'' आदर्श ने आगे बताया, ''मैथ्स मुझे बचपन से ही बहुत पसंद आने लगा था. गणित के अलग-अलग तरह के मुश्किल सवालों को हल करने के लिए अलग-अलग तरीके से सोचना पड़ता है, ऐसा करना मुझे हाई स्कूल के दिनों से ही पसंद है. और इसी ने आगे चलकर मुझे सॉफ़्टवेयर प्रोग्रामर बनने में बहुत मदद की. यह रोज़मर्रा की जिंदगी में भी सही फैसले लेने में मेरी मदद करता है.
यूं पहुंचे गूगल
आदर्श के मुताबिक, इंजीनियरिंग के चौथे साल तक आते-आते प्रोग्रामिंग पर उनकी अच्छी पकड़ हो गई थी. उनमें आत्मविश्वास आ गया था. इस बीच कैंपस सेलेक्शन से वे एक कंपनी के लिए चुन भी लिए गए थे. लेकिन इस बीच गूगल में ही काम कर रहे उनके एक सीनियर हर्षिल शाह ने उनसे कहा कि अगर वह गूगल में नौकरी के लिए कोशिश करना चाहते हैं तो वो उन्हें रेफ़र कर सकते आदर्श ने कहा,
''उन्होंने यह कह कर मेरा हौसला बढ़ाया कि मेरे प्रोग्रामिंग स्किल्स इंटरव्यू पास करने के लिए काफी हैं. फिर मैंने गूगल में अप्लाई किया. इसके बाद लगभग दो महीने तक चले कई ऑनलाइन और हैदराबाद में हुए ऑन-साइट स्टेज टेस्ट से गुजरने के बाद मेरा चयन हुआ.'' आदर्श पहली अगस्त से गूगल के म्यूनिख (जर्मनी) ऑफ़िस में काम करना शुरू करेंगे. अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में शिरकत इस साल अप्रैल में चीन के बीजिंग में हुए प्रोग्रामिंग कॉन्टेस्ट एसीएम-आईसीपीसी कॉम्पटिशन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था.
इसमें दुनिया भर की टीमें आती हैं. इस प्रतियोगता में प्रोग्रामिंग से जुड़े प्रॉबल्म्स के कोड लिखने होते हैं. भारत की आठ टीमों में उनकी टीम को दूसरा स्थान मिला जबकि दुनिया भर की 140 टीमों में उन्हें 56वां स्थान मिला. आदर्श के लिए उनका संस्थान ही रोल मॉडल रहा है क्योंकि इंजीनियरिंग कॉलेज का माहौल, वहां के कई सीनियर ऊर्जा से लबरेज़ थे. ये सब बहुत प्रेरित करने वाला था. इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उनकी ये सलाह है,
''नौवीं-दसवीं के दौरान ही तैयारी शुरु कर देनी चाहिए. इस दौरान सिलेबस का बोझ थोड़ा कम रहता है तो इसका फायदा उठाते हुए ग्यारहवीं-बारहवीं की पढ़ाई शुरु कर देनी चाहिए. बाकी सफलता के लिए फ़ोकस करके पढ़ना तो सबसे ज़रूरी है ही.'' पांव हैं ज़मीन पर... एक करोड़ से ज्यादा का पैकेज मिलने के बाद भी आदर्श इसे बहुत बड़ी बात नहीं मानते. वह कहते हैं,
''भारत की करेंसी में एक करोड़ का पैकेज बहुत बड़ा लगता है. लेकिन विदेश के जीवन-स्तर और खर्चों के हिसाब से देखें, इसे आप यूरो या अमरीकी डॉलर में देखें तो यह एक सामान्य सा पैकेज है.'' कौन है एक करोड़ प्लस सैलरी वाली गूगल गर्ल मधुमिता क्या औरतों से भेदभाव करता है गूगल? आदर्श के मुताबिक उन्होंने अब तक ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है कि इस पैकेज से मिलने वालों पैसे से वह क्या-क्या करेंगे. फिलहाल उनके ज़ेहन में बस यह है कि उन्हें पहली कमाई से अपने छोटे भाई अमनदीप के लिए अच्छी सी विदेशी ब्रांड की घड़ी खरीदनी है.
हाई स्कूल पहुंचने के बाद उन्हें कंप्यूटर गेमिंग का शौक लगा जो इंजीनियरिंग कॉलेज में भी बदस्तूर जारी रहा. मां की फ़िक्र: विदेश में खाना कैसे खाएगा बेटा? आदर्श के पिता बीरेंद्र शर्मा बताते हैं कि उनके परिवार के लिए गूगल की करोड़ रुपए पैकेज वाली नौकरी की ख़बर कोई अचानक से मिली खुशी की ख़बर की तरह नहीं थी. ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे आदर्श एक-एक स्टेज पार करते हुए आगे बढ़ रहे थे तो उनके परिवार को भी इस सफलता का बहुत हद तक यकीन हो गया था.
वहीं आदर्श की कामयाबी के बाद उनकी मां अनीता शर्मा की चिंता यह थी कि बेटा विदेश में खाने का इंतजाम कैसे करेगा. वह बताती हैं, ''शुरुआत में मैं इस बात को लेकर बहुत परेशान थी. इसे कुछ भी पकाना नहीं आता. लेकिन जब पता चला कि कंपनी की ओर से ही खाने का इंतज़ाम किया जाएगा तो मेरी चिंता दूर हुई.'' आदर्श अपने परिवार से नौकरी के लिए विदेश जाने वाले पहले शख़्स हैं.
यह उपलब्धि भी आदर्श के परिवार के लिए ख़ास मायने रखती है. अब इस कामयाबी के सहारे आदर्श की मां अनीता की ख्वाहिश सिंगापुर घूमने की है तो आदर्श के पिता बीरेंद्र अमरीका का गूगल हेड क्वार्टर देखना चाहते हैं.
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