गूगल 1 RanK पर रहने के लिए जिम्मेदार फैक्टर्स website seo ranking tips

Google seo tutorial for hindi websites - इंटरनेट पर हर दिन लाखो करोडो पेज डेली बनाये जाते हे लाखो में हिंदी की हर दिन नये ब्लॉग और नई साइट बनती हे मतलब साफ़ हे.....

 अगर आप इंटरनेट पर वेबसाइट बनाने का भविष्य देख रहे हे तो पहले कुछ जरुरी जानकारी भी जान ले जो बेहद जरुरी साबित होगी

किसी भी साइट के लिए गूगले मे अच्छी रंक लाना आसान नही होता है. गूगले मे रॅंकिंग लाने के लिए 200+ आल्गरिदम्स रॅंकिंग फॅक्टर्स है.

यदि हम इन सभी फॅक्टर्स को सही तरीके से फॉलो करेंगे तो गूगले के सर्च रिज़ल्ट्स मे हमारा ब्लॉग वेबसाइट टॉप मे होगा. बहुत से लोगो को गूगले रॅंकिन फॅक्टर्स के बारे मे पता नही होता है. सो हम आज इस पोस्ट मे गूगले के रॅंकिंग फॅक्टर्स के बारे मे जाँनेगे.

 गूगले SEO  रॅंकिंग फॅक्टर्स 

गूगले एक बहुत बड़ा सर्च एंजिन है और अब गूगल का हर देश में अलग अलग सर्च अल्गोरिदम काम करता हे गूगले से अच्छी ट्रॅफिक पाना सभी ब्लॉगगेर्स का सपना होता है. सभी ब्लॉगगेर इस सपने को साकार करने के लिए दिन रात मेहनत करता है

ताकि उसका ब्लॉग सर्च एंजिन मे सबसे टॉप पर आए. लेकिन आपको तो पता ही होगा की सर्च एंजिन मे अपनी साइट को टॉप पर लाना कितना मुश्किल ओर हार्ड काम है मगर इंपॉसिबल नही है.

गूगले के कुछ रॅंकिंग फॅक्टर्स है. जिन्हे फॉलो करके हम अपने ब्लॉग को गूगले मे सबसे टॉप पर ला सकते है. इंटरनेट पर बहुत से बड़े बड़े कंपनीज़ है और इन कंपनीज़ के बारे मे कुच्छ ऐसे हिडन इन्फर्मेशन जिसके बारे मे हर किसी को पता नही होता है

 उसे हम फॅक्टर कहते है. सेम गूगले रॅंकिंग फॅक्टर्स के बारे मे भी कुछ ऐसी बाते आएसी है जो हर किसी को पता नही है उसे ही हम गूगले रॅंकिंग फॅक्टर्स कहते है.

 गूगले रॅंकिंग फॅक्टर्स क्या है?

जब गूगले किसी वेबसाइट को रंक देती है तो वो उस वेबसाइट्स मे क्या क्या खूबिया देखकर रंक देती है. ई मीन, गूगले किसी भी वेबसाइट को रंक देने के कौन कौन थिंग्स को कॅल्क्युलेट करती है. उसे हम गूगले रॅंकिंग फॅक्टर्स कहते है.
 Google top page Ranking Pane Ke 10 Ranking Factors 2017 

1 # WEBSITE DOMAIN NAME - जी हां आपकी वेबसाइट का नाम सिंपल और कम से कम वर्ड्स में होना चाहिए जैसे - OLX.com , howFN.com या paytm.com ये सब साइट्स को गूगल में सबसे टॉप रैंक मिलने का एक बड़ा कारण इन साइट्स का क़म से क़म वर्ड का होना भी हे

फायदे : - अगर आप वेबसाइट का नाम जितना छोटा रखोगे उससे एक तो जो यूजर आपकी साइट को याद रखने में सहूलियत होगी , दूसरा गूगल सर्च अब स्मार्ट से स्मार्ट हो रहा हे पहले जैसे ज्यादा वर्ड नहीं देखना चाहता same बात web name पर भी डिपेंड है , गूगल सजेशन में जल्दी शो होते हे कम वर्ड डोमेन

आगे जाने - बहुत जय्दा गूगल प्लस से ट्रॅफिक बढ़ने के टॉप 5 तरीके

2 # Domain Authority: ओल्ड डोमेन इस्तेमाल करे 

गूगले का टॉप रंक फॅक्टर्स मे से एक ये भी है की डोमेन उम्र कितनी  है. यानी की जब गूगले किसी वेबसाइट को रंक देता है तो उसमे ये भी देखा जाता है की डोमेन कितना ओल्ड है. डोमेन जितना ज़्यादा ओल्ड होता है उतना बेटर रंक मिलती है. इसीलिए यदि आपको गूगले से अच्छी रंक लेना है तो आप किसी से ओल्ड डोमेन बाइ कर सकते हो या फिर आपने अभी तक अपनी साइट के लिए डोमेन नही लिया है तो जल्दी ही ले ले

3 # Website Page Keyword Density: कीवर्ड का ज़्यादा प्रयोग  ना करे 2017 नियम 

हमे पोस्ट लिखते टाइम बहुत से बातो को ध्यान मे रखना होता है. मोस्ट्ली, न्यू ब्लॉगगेर्स इन बतो को ध्यान मे नही रखता है और पोस्ट मे एक ही वर्ड को बहुतबार उसे कर देता है. जिससे कीवर्ड स्टफिंग हो जाती है. कीवर्ड स्टफिंग करना ब्लॅक हट सेओ मे आता है.

 जब कोई ब्लॅक हट सेओ को फॉलो करता है तो उसे गूगले से पेनाल्टी मिल सकती है. पोस्ट कॉंटेंट मे कीवर्ड डेन्सिटी 1.5% तो 2.5% ओर मॅग्ज़िमम 3% रखना बेटर होता है. जब पोस्ट मे कीवर्ड डेन्सिटी ज़्यादा होती है तो यह गूगले वेबमास्टेर रूल्स के भी खिलाफ होता है. पोस्ट मे कीवर्ड डेन्सिटी का ख्याल रखना भी गूगले रॅंकिंग का एक फॅक्टर है.

दोस्तों ये पोस्ट में आगे और लिखूंगा जरूर देखे और आपका कोई सजेशन या सवाल हो तो नीचे कमैंट्स करे शेयर करे 


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