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जो भी हिंदू धर्म ग्रंथों को पढ़ने व प्राचीन ज्ञान विज्ञान को जानने की उत्सुकता रखते है उन्हे sanskrit sikhena chahiye जैसे गीता, रामायण, पुराण, वेद,उपनिषद् आदि ग्रन्थ संस्कति में रहते है क्या घर बैठे विना किसी व्यक्ति की सहायता से संस्कृत सीखी जा सकती है? प्रश्न अनेक तो उत्तर भी अनेक हैं। भाषा शिक्षण की कोई भी एक सुनिश्चित विधि नहीं होती। आयुवर्ग के आधार पर सीखने तथा सिखाने की प्रक्रिया बदल सकती है। जिसका समाधान यहाँ प्रस्तुत है।
निश्चय ही संस्कृत सीखना बहुत ही आनन्दप्रद है। यदि थोड़ा भी संस्कृत आ जाय तो हम इससे बहुत आनन्द ले सकते हैं। जानकारी जुटा सकते हैं । जीवन में आने वाले हर संकट का समाधान ढूंढ सकते है। विना अधिक खर्च किये स्वरोजगार कर सकते है। लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं आदि। आइए, पहले यह स्पष्ट कर लें कि आप संस्कृत में निहित विषयों को जानना चाहते हैं या भाषा? अधिकांश लोग इस भाषा में निहित ज्ञान सम्पदा को ही जानना चाहते हैं। विषयों तक की यात्रा का साधन भाषा है। हम भाषा के माध्यम से संस्कृत ग्रन्थों में लिखे अपार ज्ञान को पा सकते हैं। हम सबसे पहले संक्षेप में इसके वाक्य संरचना के बारे में चर्चा करें । श्लोक, संस्कृत की सबसे पुरानी विधा है
यह पद्यात्मक होता है। आपने सुभाषित का नाम सुना होगा। श्लोकबद्ध नीति वचन या सुभाषित संकेतात्मक होते हैं। शास्त्र ग्रन्थ सूत्रों में कहे गये हैं। शास्त्रों में विभिन्न विषयों को एक सुनिश्चित अनुसाशन में बांधा गया है। आजकल हम गद्य शैली में बोलते हैं। संस्कृत में लिखित गद्य की वाक्य संरचना, इसमें शब्दों की स्थिति पद्य से भिन्न होती है। परन्तु संस्कृत का गद्य ठीक उस रूप में लिखा नहीं मिलता जैसे कि हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का गद्य होता है। यहाँ कारक के कारण गद्य के किसी वाक्य को लिखने का कोई सुनिश्चित क्रम नहीं है।
सबसे पहले यह तय करें कि आप किस काम के लिए संस्कृत भाषा सीखना चाहते हैं।यदि आप पहले कहे गये में से किसी भी उद्येश्य के लिए संस्कृत सीखना चाहते हैं तो संस्कृत भाषा में शब्द निर्माण की प्रक्रिया एवं इसके वाक्य विन्यास को समझना होगा। बताता चलूँ कि कुछ मूल शब्दों तथा प्रत्ययों के संयोग से संस्कृत में नये शब्द बन जाते हैं । इसके बारे में हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगें। हिंदी तथा अन्य भाषाओं की तरह संस्कृत भाषा अलग-अलग कालखंडों में अलग-अलग स्वरूप को धारण करती रही है।
1- वैदिक संस्कृत 2- लौकिक संस्कृत वैदिक संस्कृत का व्याकरण और शब्दकोश लौकिक संस्कृत से पृथक् है। वेद से लेकर ब्राह्मण और उपनिषद् की भाषा वैदिक है। बाल्मीकि रामायण, पुराण एवं बाद के अन्य साहित्य ग्रंथों की रचना लौकिक संस्कृत में की गई है। लौकिक संस्कृत का लिखित तथा मौखिक दो स्वरूप हैं। दोनों प्रकार की भाषा में मौलिक अन्तर यह है कि लिखित में व्याकरण का तथा अप्रचलित या प्रौढ भाषा का प्रयोग बहुतायत किया जाता है। इसको सीखने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करनी होगी। मौखिक संस्कृत या बोलचाल में प्रयोग आने वाले संस्कृत के लिए कम से कम शब्दों एवं व्याकरण की आवश्यकता है।
इसके लिए ज्यादा अभ्यास की आवश्यकता है। इसे सीखने की पद्धति भी अलग है। संस्कृत साहित्य को जानने के लिए मौखिक संस्कृत सीखना प्रवेश द्वार हो सकता है। संस्कृत भाषा को सीखने के लिए अनेक आयाम हो सकते हैं। न्यायसिद्धान्तमुक्तावली-शब्दखंड का यह श्लोक हमेशा याद रखना चाहिए। शब्द के अर्थ को बताने वाली प्रक्रिया को शक्तिग्रह के नाम से कहा गया है। इसमें लोक व्यवहार के द्वारा शब्दों के अर्थ को समझने का प्रधान साधन कहा गया है
यहाँ मैं लिखित संस्कृत सीखने हेतु टिप्स दे रहा हूँ।
2. संस्कृत एक संश्लिष्ट भाषा है, जिसमें प्रत्येक अक्षर, प्रत्येक पद आपस में जुड़ जाते हैं। आपस में जुड़े शब्दों को कभी-कभी तो पहचाना जा सकता है, परंतु कभी-कभी वह अपने मूल स्वरुप से इतने भिन्न हो जाते हैं कि पहचान करना कठिन होता है। इसके लिए आपको सरल से कठिन की ओर बढ़ना है।
3. प्रारम्भ में आप कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए लिखी गयी संस्कृत की पाठ्य पुस्तकें लें। ये पुस्तकें बहुत अधिक उपयोगी हो सकती है । इसे आद्योपान्त पढ़ें। इसके अभ्यास को ठीक उसी तरह पूरा करें, जैसे कोई बच्चा करता है। अपनी योग्यता का आकलन करते हुए आगे बढ़ें।
4. यदि आप संस्कृत भाषा का उच्चारण करना भी सीखना चाहते हैं तो संस्कृत के स्तोत्रों, गीतों को सुनें तथा वैसा ही उच्चारण करने का अभ्यास भी करें। अब इन्टरनेट पर इस विषय में प्रभूत सामग्री मिलने लगी है। इस ब्लॉग पर सस्वर आलवन्दार स्तोत्र, रघुवंशम् द्वितीय सर्ग जैसे कई लेख हैं जहाँ ध्वनि जोड़ा गया है। मेरे यूट्यूब चैनल पर भी वाल्मीकि रामायण, अनेक संस्कृत गीत तथा स्तोत्रों के पाठ हैं।
5. बाजार में कई ऐसी पुस्तकें आ चुकी है, जो संस्कृत सीखाने में सहायक है। पुस्तक खरीदते समय यह ध्यान रखें कि उसमें अभ्यास करने की व्यवस्था हो। लेख के अंत में पुस्तकों की सूची उपलब्ध करा दी गयी है। संस्कृत सीखने की सहायक सामग्रियां जैसे- आडियो, विडियो, चित्र पद कोश संस्कृत सीखने के रुचिकर साधन हैं। 10 वर्ष तक के आयुवर्ग के बच्चे इस ओर अधिक आकर्षित होते हैं।
6. रामायण, पुराण या संस्कृत भाषा में प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक, पाक्षिक या दैनिक पत्रिका प्रतिदिन पढ़ें। इसी ब्लॉग में संस्कृत पत्रिकाओं के नाम एवं पता के लिंक पर जायें।
7. एक ऐसा जानकार व्यक्ति जो आवश्यकता पड़ने पर फोन या अन्य द्वारा आपको मदद कर सके।
8. प्रतिदिन संस्कृत की पुस्तक या पत्रिका के लेख से एक पृष्ठ लिखें।
9. संस्कृत व्याकरण की आरम्भिक जानकारी के लिए संस्कृतभाषी ब्लॉग पर जायें। लेखानुक्रमणी में दिये 21.09.2018 से 27.09.2018 के मध्य के पोस्ट को पढ़ें। इसमें लघुसिद्धान्तकौमुदी का सभी प्रकरण सरल हिन्दी अनुवाद के साथ उपलब्ध कराया गया है। यह आपके लिए उपयोगी होगा है।
10. राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली, संस्कृतभारती तथा अन्य अनेक संस्थायें पत्राचार द्वारा संस्कृत सिखाने का कोर्स चलाती है, जो दो वर्ष से लेकर 4 वर्ष तक की होती है।
11. राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली देश भर में अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र स्थापित किया है। यहाँ प्रत्येक कार्यदिवसों में दो- दो घंटे की कक्षा लगती है। जिसके माध्यम से संस्कृत सीखना आसान है।
12. बोलचाल में प्रयोग होने वाली संस्कृत भाषा को सीखाने के लिए संस्कृतभारती का प्रशिक्षण केन्द्र देश के लगभग प्रत्येक जनपद में स्थापित है। दिल्ली तथा वाराणसी में सालों भर 15-15 दिनों की आवासीय कक्षा सतत संचालित होते रहती है। संस्कृतभारती के प्रान्त कार्यालयों द्वारा वर्ष में एक बार आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है,जहाँ आप मात्र 10 दिनों में कार्यसाधक संस्कृत बोलना सीख जाते हैं। संस्कृत सीखने की उपयोगी पुस्तकें तथा अनेक शैक्षणिक गतिविधि भी यहाँ संचालित होते हैं।
13. उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ, उत्तरांचल आदि राज्यों में स्थापित संस्कृत अकादमी तथा अन्य स्वयंसेवी संस्था भी समय समय पर संस्कृत सीखाने हेतु अल्पकालीन कक्षाओं का संचालन करती है।
संस्कृत पत्रिका या पुस्तक पढ़ना शुरु करें-
इन पुस्तकों में से जो भी पुस्तकें उपलब्ध हो सके, इनसे संस्कृत सीखें।
प्रकाशक/लेखक पुस्तक नाम
1- राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली दीक्षा
2- उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ सरल संस्कृतम्
3- संस्कृतभारती सरला,सुगमा
4- इन्दिरा चरण पाण्डेय संस्कृत शिक्षण समीक्षण
5- इन्द्रपति उपाध्याय संस्कृत सुबोध
6- उमेश चन्द्र पाण्डेय संस्कृत रचना
7- ए0 ए0 मैग्डोनल संस्कृत व्याकरण प्रवेशिका
8- कपिलदेव द्विवेदी प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी
9- कपिलदेव द्विवेदी संस्कृत शिक्षा
10- कमलाकान्त मिश्र संस्कृत गद्य मन्दाकिनी
11- कम्भम्पाटि साम्बशिवमूर्ति संस्कृत शिक्षणम्
12- कृष्णकान्त झा सन्धि प्रभा
13- के0 एस0 पी0 शास्त्री संस्कृत दीपिका
14- गी0 भू0 रामकृष्ण मोरेश्वर माला संस्कृत येते गमक दुसरे
15- चक्रधर नौटियाल नवीन अनुवाद चंद्रिका
16- चक्रधर नौटियाल बृहद् अनुवाद चन्द्रिका
17- जगन्नाथ वेदालंकार सरल संस्कृतसरणिः
18- जयन्तकृष्ण हरिकृष्ण दवे सरल संस्कृत शिक्षक
19- जयमन्त मिश्र संस्कृत व्याकरणोदयः
20- अरविन्द आन्ताराष्ट्रिय शिक्षा केन्द्र संस्कृतं भाषामहै
21- लोकभाषा प्रचार समिति, पुरी संस्कृत शब्दकोषः
22- भागीरथि नन्दः विलक्षणा संस्कृतमार्गदर्शिका
23- भि0 वेलणकर संस्कृत रचना
24- यदुनन्दन मिश्र अनुवाद चन्द्रिका
25- रमाकान्त त्रिपाठी अनुवाद रत्नाकरः
26- रवीन्द्र कुमार पण्डा संलापसरणिः
27- राकेश शास्त्री सुगम संस्कृत व्याकरण
28- राजाराम दामोदर देसाई संस्कृत प्रवेशः
29- राम बालक शास्त्री वाणी वल्लरी
30- राम शास्त्री संस्कृत शिक्षण सरणी
31- रामकृष्ण मोरेश्वर धर्माधिकारीमला संस्कृत येते (मराठी भाषी के लिए )
32- रामचन्द्र काले हायर संस्कृत ग्रामर
33- रामजियावन पाण्डेय व्यावहारिक संस्कृतम्
(पत्र,समाचार,कार्यालय टिप्पणी,प्रारूपण आदि लिखने हेतु)
34- रामदेव त्रिपाठी संस्कृत शिक्षिका
35- रामलखन शर्मा संस्कृत सुबोध
36- वाचस्पति द्विवेदी संस्कृत शिक्षण विधि
37- वात्स्यायन धर्मनाथ शर्मा बिना रटे संस्कृत व्याकरण बोध
38- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री कौत्सस्य गुरुदक्षिणा
39- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री दो मास में संस्कृत
40-वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बाल कवितावलिः
41- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बाल निबन्ध माला
42- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बाल संस्कृतम्
43- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बालनाटकम्
44- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री भारतराष्ट्रगीतम्
45- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृत क्यों पढ़ें ? कैसे पढें
46- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृत गौरव गानम्
47- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृत प्रहसनम्
48- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री सरल संस्कृत गद्य संग्रह
49- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री सरल संस्कृत पद्य संग्रह
50- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री सुगम शब्द रूपावलिः
51- वेणीमाधव शास्त्री जोशी बाल संस्कृत सारिका
52- शिवदत्त शुक्ल संस्कृत अनुवाद प्रवेशिका
53- शैलेजा पाण्डेय संस्कृत सुबोध
54- श्यामचन्द्र संस्कृत व्याकरण सुप्रभातम्
55- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर संस्कृत पाठ माला
56- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर संस्कृत स्वंय शिक्षक
जो भी हिंदू धर्म ग्रंथों को पढ़ने व प्राचीन ज्ञान विज्ञान को जानने की उत्सुकता रखते है उन्हे sanskrit sikhena chahiye जैसे गीता, रामायण, पुराण, वेद,उपनिषद् आदि ग्रन्थ संस्कति में रहते है क्या घर बैठे विना किसी व्यक्ति की सहायता से संस्कृत सीखी जा सकती है? प्रश्न अनेक तो उत्तर भी अनेक हैं। भाषा शिक्षण की कोई भी एक सुनिश्चित विधि नहीं होती। आयुवर्ग के आधार पर सीखने तथा सिखाने की प्रक्रिया बदल सकती है। जिसका समाधान यहाँ प्रस्तुत है।
निश्चय ही संस्कृत सीखना बहुत ही आनन्दप्रद है। यदि थोड़ा भी संस्कृत आ जाय तो हम इससे बहुत आनन्द ले सकते हैं। जानकारी जुटा सकते हैं । जीवन में आने वाले हर संकट का समाधान ढूंढ सकते है। विना अधिक खर्च किये स्वरोजगार कर सकते है। लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं आदि। आइए, पहले यह स्पष्ट कर लें कि आप संस्कृत में निहित विषयों को जानना चाहते हैं या भाषा? अधिकांश लोग इस भाषा में निहित ज्ञान सम्पदा को ही जानना चाहते हैं। विषयों तक की यात्रा का साधन भाषा है। हम भाषा के माध्यम से संस्कृत ग्रन्थों में लिखे अपार ज्ञान को पा सकते हैं। हम सबसे पहले संक्षेप में इसके वाक्य संरचना के बारे में चर्चा करें । श्लोक, संस्कृत की सबसे पुरानी विधा है
sanskrit kaise sikhe pdf bolna padhna
यह पद्यात्मक होता है। आपने सुभाषित का नाम सुना होगा। श्लोकबद्ध नीति वचन या सुभाषित संकेतात्मक होते हैं। शास्त्र ग्रन्थ सूत्रों में कहे गये हैं। शास्त्रों में विभिन्न विषयों को एक सुनिश्चित अनुसाशन में बांधा गया है। आजकल हम गद्य शैली में बोलते हैं। संस्कृत में लिखित गद्य की वाक्य संरचना, इसमें शब्दों की स्थिति पद्य से भिन्न होती है। परन्तु संस्कृत का गद्य ठीक उस रूप में लिखा नहीं मिलता जैसे कि हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का गद्य होता है। यहाँ कारक के कारण गद्य के किसी वाक्य को लिखने का कोई सुनिश्चित क्रम नहीं है।
सबसे पहले यह तय करें कि आप किस काम के लिए संस्कृत भाषा सीखना चाहते हैं।यदि आप पहले कहे गये में से किसी भी उद्येश्य के लिए संस्कृत सीखना चाहते हैं तो संस्कृत भाषा में शब्द निर्माण की प्रक्रिया एवं इसके वाक्य विन्यास को समझना होगा। बताता चलूँ कि कुछ मूल शब्दों तथा प्रत्ययों के संयोग से संस्कृत में नये शब्द बन जाते हैं । इसके बारे में हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगें। हिंदी तथा अन्य भाषाओं की तरह संस्कृत भाषा अलग-अलग कालखंडों में अलग-अलग स्वरूप को धारण करती रही है।
कालखण्ड तथा प्रकृति को देखते हुए संस्कृत भाषा के दो स्वरूप हैं-
1- वैदिक संस्कृत 2- लौकिक संस्कृत वैदिक संस्कृत का व्याकरण और शब्दकोश लौकिक संस्कृत से पृथक् है। वेद से लेकर ब्राह्मण और उपनिषद् की भाषा वैदिक है। बाल्मीकि रामायण, पुराण एवं बाद के अन्य साहित्य ग्रंथों की रचना लौकिक संस्कृत में की गई है। लौकिक संस्कृत का लिखित तथा मौखिक दो स्वरूप हैं। दोनों प्रकार की भाषा में मौलिक अन्तर यह है कि लिखित में व्याकरण का तथा अप्रचलित या प्रौढ भाषा का प्रयोग बहुतायत किया जाता है। इसको सीखने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करनी होगी। मौखिक संस्कृत या बोलचाल में प्रयोग आने वाले संस्कृत के लिए कम से कम शब्दों एवं व्याकरण की आवश्यकता है।
इसके लिए ज्यादा अभ्यास की आवश्यकता है। इसे सीखने की पद्धति भी अलग है। संस्कृत साहित्य को जानने के लिए मौखिक संस्कृत सीखना प्रवेश द्वार हो सकता है। संस्कृत भाषा को सीखने के लिए अनेक आयाम हो सकते हैं। न्यायसिद्धान्तमुक्तावली-शब्दखंड का यह श्लोक हमेशा याद रखना चाहिए। शब्द के अर्थ को बताने वाली प्रक्रिया को शक्तिग्रह के नाम से कहा गया है। इसमें लोक व्यवहार के द्वारा शब्दों के अर्थ को समझने का प्रधान साधन कहा गया है
अर्थात्- 1- व्याकरण 2- उपमान (व्यक्ति,वस्तु एवं क्रिया आदि का समानार्थी, विलोम आदि शब्द) 3- कोश (अनेक प्रकार के शब्द कोश) 4- आप्त वाक्य 5- लोक व्यवहार 6- वाक्य शेष (सम्पूर्ण वाक्य का भावार्थ) 7- विवृत्ति (व्याख्या, वाक्य का कथ्य ) और सिद्ध (जान चुके शब्द) पद के द्वारा (अर्थ) का बोध होता है। इसीलिए संस्कृत भाषा सीखने के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रतिदिन संस्कृत की पुस्तकों, पत्रिकाओं को पढ़े। संस्कृत में दिये गये व्याख्यान या बातचीत को सुने।
शक्तिग्रहं व्याकरणोपयानकोशाप्ततवाक्याद् व्यवहारतश्च।
वाक्यस्य शेषाद् विवृतेर्वदन्ति सान्निध्यत: सिद्धपादस्य वृद्धा:॥
यहाँ मैं लिखित संस्कृत सीखने हेतु टिप्स दे रहा हूँ।
अध्ययन के सहायक उपकरण--
1. संस्कृत भाषा में लिखे ग्रंथों को पढ़ने के लिए सबसे पहले आपके पास एक शब्दकोश होना चाहिए ताकि आप संस्कृत का अर्थ जान सकें।2. संस्कृत एक संश्लिष्ट भाषा है, जिसमें प्रत्येक अक्षर, प्रत्येक पद आपस में जुड़ जाते हैं। आपस में जुड़े शब्दों को कभी-कभी तो पहचाना जा सकता है, परंतु कभी-कभी वह अपने मूल स्वरुप से इतने भिन्न हो जाते हैं कि पहचान करना कठिन होता है। इसके लिए आपको सरल से कठिन की ओर बढ़ना है।
3. प्रारम्भ में आप कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए लिखी गयी संस्कृत की पाठ्य पुस्तकें लें। ये पुस्तकें बहुत अधिक उपयोगी हो सकती है । इसे आद्योपान्त पढ़ें। इसके अभ्यास को ठीक उसी तरह पूरा करें, जैसे कोई बच्चा करता है। अपनी योग्यता का आकलन करते हुए आगे बढ़ें।
4. यदि आप संस्कृत भाषा का उच्चारण करना भी सीखना चाहते हैं तो संस्कृत के स्तोत्रों, गीतों को सुनें तथा वैसा ही उच्चारण करने का अभ्यास भी करें। अब इन्टरनेट पर इस विषय में प्रभूत सामग्री मिलने लगी है। इस ब्लॉग पर सस्वर आलवन्दार स्तोत्र, रघुवंशम् द्वितीय सर्ग जैसे कई लेख हैं जहाँ ध्वनि जोड़ा गया है। मेरे यूट्यूब चैनल पर भी वाल्मीकि रामायण, अनेक संस्कृत गीत तथा स्तोत्रों के पाठ हैं।
5. बाजार में कई ऐसी पुस्तकें आ चुकी है, जो संस्कृत सीखाने में सहायक है। पुस्तक खरीदते समय यह ध्यान रखें कि उसमें अभ्यास करने की व्यवस्था हो। लेख के अंत में पुस्तकों की सूची उपलब्ध करा दी गयी है। संस्कृत सीखने की सहायक सामग्रियां जैसे- आडियो, विडियो, चित्र पद कोश संस्कृत सीखने के रुचिकर साधन हैं। 10 वर्ष तक के आयुवर्ग के बच्चे इस ओर अधिक आकर्षित होते हैं।
6. रामायण, पुराण या संस्कृत भाषा में प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक, पाक्षिक या दैनिक पत्रिका प्रतिदिन पढ़ें। इसी ब्लॉग में संस्कृत पत्रिकाओं के नाम एवं पता के लिंक पर जायें।
7. एक ऐसा जानकार व्यक्ति जो आवश्यकता पड़ने पर फोन या अन्य द्वारा आपको मदद कर सके।
8. प्रतिदिन संस्कृत की पुस्तक या पत्रिका के लेख से एक पृष्ठ लिखें।
9. संस्कृत व्याकरण की आरम्भिक जानकारी के लिए संस्कृतभाषी ब्लॉग पर जायें। लेखानुक्रमणी में दिये 21.09.2018 से 27.09.2018 के मध्य के पोस्ट को पढ़ें। इसमें लघुसिद्धान्तकौमुदी का सभी प्रकरण सरल हिन्दी अनुवाद के साथ उपलब्ध कराया गया है। यह आपके लिए उपयोगी होगा है।
10. राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली, संस्कृतभारती तथा अन्य अनेक संस्थायें पत्राचार द्वारा संस्कृत सिखाने का कोर्स चलाती है, जो दो वर्ष से लेकर 4 वर्ष तक की होती है।
11. राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली देश भर में अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र स्थापित किया है। यहाँ प्रत्येक कार्यदिवसों में दो- दो घंटे की कक्षा लगती है। जिसके माध्यम से संस्कृत सीखना आसान है।
12. बोलचाल में प्रयोग होने वाली संस्कृत भाषा को सीखाने के लिए संस्कृतभारती का प्रशिक्षण केन्द्र देश के लगभग प्रत्येक जनपद में स्थापित है। दिल्ली तथा वाराणसी में सालों भर 15-15 दिनों की आवासीय कक्षा सतत संचालित होते रहती है। संस्कृतभारती के प्रान्त कार्यालयों द्वारा वर्ष में एक बार आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है,जहाँ आप मात्र 10 दिनों में कार्यसाधक संस्कृत बोलना सीख जाते हैं। संस्कृत सीखने की उपयोगी पुस्तकें तथा अनेक शैक्षणिक गतिविधि भी यहाँ संचालित होते हैं।
13. उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ, उत्तरांचल आदि राज्यों में स्थापित संस्कृत अकादमी तथा अन्य स्वयंसेवी संस्था भी समय समय पर संस्कृत सीखाने हेतु अल्पकालीन कक्षाओं का संचालन करती है।
संस्कृत पत्रिका या पुस्तक पढ़ना शुरु करें-
इन पुस्तकों में से जो भी पुस्तकें उपलब्ध हो सके, इनसे संस्कृत सीखें।
प्रकाशक/लेखक पुस्तक नाम
1- राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली दीक्षा
2- उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ सरल संस्कृतम्
3- संस्कृतभारती सरला,सुगमा
4- इन्दिरा चरण पाण्डेय संस्कृत शिक्षण समीक्षण
5- इन्द्रपति उपाध्याय संस्कृत सुबोध
6- उमेश चन्द्र पाण्डेय संस्कृत रचना
7- ए0 ए0 मैग्डोनल संस्कृत व्याकरण प्रवेशिका
8- कपिलदेव द्विवेदी प्रौढ़ रचनानुवाद कौमुदी
9- कपिलदेव द्विवेदी संस्कृत शिक्षा
10- कमलाकान्त मिश्र संस्कृत गद्य मन्दाकिनी
11- कम्भम्पाटि साम्बशिवमूर्ति संस्कृत शिक्षणम्
12- कृष्णकान्त झा सन्धि प्रभा
13- के0 एस0 पी0 शास्त्री संस्कृत दीपिका
14- गी0 भू0 रामकृष्ण मोरेश्वर माला संस्कृत येते गमक दुसरे
15- चक्रधर नौटियाल नवीन अनुवाद चंद्रिका
16- चक्रधर नौटियाल बृहद् अनुवाद चन्द्रिका
17- जगन्नाथ वेदालंकार सरल संस्कृतसरणिः
18- जयन्तकृष्ण हरिकृष्ण दवे सरल संस्कृत शिक्षक
19- जयमन्त मिश्र संस्कृत व्याकरणोदयः
20- अरविन्द आन्ताराष्ट्रिय शिक्षा केन्द्र संस्कृतं भाषामहै
21- लोकभाषा प्रचार समिति, पुरी संस्कृत शब्दकोषः
22- भागीरथि नन्दः विलक्षणा संस्कृतमार्गदर्शिका
23- भि0 वेलणकर संस्कृत रचना
24- यदुनन्दन मिश्र अनुवाद चन्द्रिका
25- रमाकान्त त्रिपाठी अनुवाद रत्नाकरः
26- रवीन्द्र कुमार पण्डा संलापसरणिः
27- राकेश शास्त्री सुगम संस्कृत व्याकरण
28- राजाराम दामोदर देसाई संस्कृत प्रवेशः
29- राम बालक शास्त्री वाणी वल्लरी
30- राम शास्त्री संस्कृत शिक्षण सरणी
31- रामकृष्ण मोरेश्वर धर्माधिकारीमला संस्कृत येते (मराठी भाषी के लिए )
32- रामचन्द्र काले हायर संस्कृत ग्रामर
33- रामजियावन पाण्डेय व्यावहारिक संस्कृतम्
(पत्र,समाचार,कार्यालय टिप्पणी,प्रारूपण आदि लिखने हेतु)
34- रामदेव त्रिपाठी संस्कृत शिक्षिका
35- रामलखन शर्मा संस्कृत सुबोध
36- वाचस्पति द्विवेदी संस्कृत शिक्षण विधि
37- वात्स्यायन धर्मनाथ शर्मा बिना रटे संस्कृत व्याकरण बोध
38- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री कौत्सस्य गुरुदक्षिणा
39- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री दो मास में संस्कृत
40-वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बाल कवितावलिः
41- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बाल निबन्ध माला
42- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बाल संस्कृतम्
43- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री बालनाटकम्
44- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री भारतराष्ट्रगीतम्
45- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृत क्यों पढ़ें ? कैसे पढें
46- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृत गौरव गानम्
47- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृत प्रहसनम्
48- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री सरल संस्कृत गद्य संग्रह
49- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री सरल संस्कृत पद्य संग्रह
50- वासुदेव द्विवेदी शास्त्री सुगम शब्द रूपावलिः
51- वेणीमाधव शास्त्री जोशी बाल संस्कृत सारिका
52- शिवदत्त शुक्ल संस्कृत अनुवाद प्रवेशिका
53- शैलेजा पाण्डेय संस्कृत सुबोध
54- श्यामचन्द्र संस्कृत व्याकरण सुप्रभातम्
55- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर संस्कृत पाठ माला
56- श्रीपाद दामोदर सातवलेकर संस्कृत स्वंय शिक्षक
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