whatsapp ki jankari hindi whatsapp meaningएक समय था जब दो दोस्तों ने याहू जैसी एक कंपनी की नौकरी छोड़ दी, यह सोचकर कि अपना कोई काम किया जाए। लेकिन फिर लगा कि बात बन नहीं रही है और फिर नौकरी पकड़ ली जाए।
लेकिन दूसरे दोस्त ने पहले को समझाया कि इतनी दूर चलने के बाद मंजिल की आस छोड़नी नहीं चाहिए। और काम चलता रहा। रास्ते में और दोस्तों का भी साथ मिल गया। इस तरह बिना पैसों के प्रयोग के तौर पर शुरु हुआ काम देखते ही देखते लोकप्रिय होने लगा और बाजार में उसकी कीमत बढ़ते बढ़ते अरबों डॉलर की हो गई।
लोकप्रियता बढ़ने लगी तो फेसबुक जैसे लोकप्रिय ब्रांड को उसे खरीदने का प्रस्ताव भेजना पड़ा।
वह प्रोडक्ट था- ' व्हाट्स-ऐप '
Whatsapp biography in hindi
जिसे तैयार किया है जां कॉम और ब्रायन ऐक्टन नाम के दो दोस्तों ने। पढ़िए जो वॉट्स ऐप आज आपके फोन में है वह आखिर आप तक पहुंचा कैसे है!
यह सफर शुरू होता है वॉट्स ऐप के को-फाउंडर जां कॉम की जिंदगी के शुरुआती दिनों से।
जां कॉम 1976 में यूक्रेन के पास एक छोटे से गांव में जन्मे थे। कॉम की मां एक गृहणी थीं और उनके पिता अस्पताल और स्कूल बनाने वाली एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। वे अक्सर घर से बाहर रहा करते थे। जीवन बेहद खस्ताहाल था। घर में रोजमर्रा की चीजें जुटा पाना भी एक कठिन काम था।
बचपन में कॉम और उनकी मां किसी तरह अपना खाना जुटा पाते थे। उनकी मां किसी तरह घर में सबसे लिए खाने और बाकी चीजों का इंतजाम किया करती थीं। वे दिन कॉम की जिंदगी के सबसे चुनौती भरे दिन थे। फिर एक वक्त ऐसा भी आया कि कॉम ने 19 बिलियन डॉलर में खुद के बनाया हुए वॉट्स ऐप की डील उसी वेल फेयर के ऑफिस में साइन की जहां वो एक समय राशन कार्ड लेकर खाना जुटाने के लिए खड़े रहते थे।
और इसी वेल फेयर ऑफिस के बगल में जां कॉम ने वॉट्स ऐप का हेड ऑफिस बनाया। फेसबुक को 19 बिलियन डॉलर में वॉट्स ऐप बेचने के बाद जां कॉम अपने दोस्त ब्रायन ऐक्टन के साथ एक बार फिर उसी वेल फेयर के ऑफिस पहुंचे। ऐसा जिंदगी में पहली बार हुआ जब कॉम अपनी पोर्श ड्राइव करते हुए उस ऑफिस तक पहुंचे।कॉम स्कूल में एक शैतान बच्चे हुआ करते थे लेकिन 18 की उम्र तक पहुंचते हुए उन्होने खुद को कम्प्यूटर नेटवर्किंग में एक्सपर्ट बना लिया। उन्होंने एक हैकर ग्रुप वूवू ज्वाइन किया जिसमें उन्हें इंटरनेट और नेटवर्किंग से जुड़ी तमाम चीजें सीखीं।
1997 में वे सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी गए और वहां खुद को ब्रायन एक्टन के साथ बैठा पाया।
यूनिवर्सिटी में काम करते हुए उन्होंने याहू में नौकरी करना शुरू कर दिया। एक दिन सर्वर में कुछ परेशानी आने पर याहू के फाउंडर फिलो ने कॉम को फोन किया और पूछा कि वह कहां है। कॉम ने जवाब दिया कि मैं क्लास में हूं। फिलो ने कहा तुम क्लास में क्या कर रहे हो? मेरी टीम बेहद छोटी है और यह सर्वर की परेशानी जल्द से जल्द ठीक करनी है।
कॉम कहते हैं कि उन्हें पढ़ाई वैसे भी पसंद नहीं थी। उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।
सन 2000 में जब कॉम की मां की मृत्यु हुई वे अचानक बेहद अकेले हो गए। 1997 में पहले ही उनके पिता की मृत्यु हो चुकी थी। कॉम उस वक्त को याद करते हुए ऐक्टन के लिए शुक्रगुजार महसूस करते हैं। वे कहते हैं कि उस वक्त ऐक्टन ने मेरा बहुत साथ दिया। हम साथ रहते थे। वह मुझे अपने साथ घर ले जाता था। मेरा मन बहलाने के लिए हम सॉकर और फ्रिस्बी खेला करते थे।
2007 में कॉम और ऐक्टन दोनों ने याहू की अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने फेसबुक में नौकरी पाने की कोशिश की पर दोनों नाकाम रहे।
फिर दोनों दोस्त एक कॉफी शॉप में बैठ कर कॉम और ऐक्टन दोनों बात करते रहे। एक ऐप के बारे में सोचते रहे। उन्होंने सोचा कि यह कितना कूल होगा कि एक ऐप का स्टेटस यह बताए कि आप क्या कर रहे हो। जैसे आप फोन पर हो, बैटरी लो है, जिम में हूं।
वाट्स ऐप का नाम रखे जाने में कोई लिस्ट नहीं थी जो बनी और रिजेक्ट हुई हो। कॉम ने एक बार में ही यह नाम सोच कर तय कर लिया था... ''what's up"
ऐसे बनना शुरू हुआ वॉट्स ऐप
शुरुआत में वॉट्स ऐप लगातार क्रैश या हैंग होता रहा। इसके बाद वे लगातार अपने दोस्तों के फोन में ऐप पर काम करते रहे उनके कॉन्टैक्ट को डाउनलोड करते रहे और यह नोट्स बनाते रहे कि कहां कहां दिक्कते आ रही हैं।
what is whatsapp in hindi language - इस बीच एक दिन फ्रिस्बी खेलते हुए कॉम ने ऐक्टन से कहा कि हमें फिर से नौकरी की तलाश करनी चहिए। इस पर ऐक्टन ने कॉम को डपटते हुए कहा कि इतना आगे आकर अब अगर तुम इस प्रोजेक्ट को छोड़ दोगे तो यह बड़ी बेवकूफी होगी।
कॉम के अनुसार शुरू में हमने यह नहीं सोचा था कि यह ठीक-ठीक कैसा बनेगा। हमने सोचा था कि कितना मजेदार होगा कि किसी ऐप में जब भी कोई अपना स्टेटस बदलेगा वह उसके पूरे नेटवर्क में चला जाएगा। जैसे.. मैं नहाने जा रहा हूं बाय।
लेकिन धीरे-धीरे इसमें इंस्टेंट मैसेज जुड़ा। इसके बाद दोनों दोस्तों ने सोचा कि अगर दुनिया भर में काम करने वाला कोई ऐसा ऐप बने जो सभी जगह काम करे और लोग आपस में जुड़ जाएं तो वह बहुत कारगर साबित होगा और ताकतवर भी।
जां कॉम और ब्रायन ऐक्टन ने कॉफी शॉप्स में बैठकर वॉट्स ऐप डेवलप किया। कई साल लगे जब वे लगातार इसी तरह साथ बैठते और काम करते।
कुछ ही सालों का समय लगा और वॉट्स ऐप की कीमत कुछ डॉलर से बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। जब फेसबुक ने वॉट्स ऐप को खरीदा तो कंपनी ने उन्हें 4 बिलियन डॉलर कैश दिए बाकी 12 बिलियन डॉलर के कंपनी के शेयर दिए।
वाट्स ऐप को 2009 में बनाया गया था और पांच साल में आज इसकी ग्रोथ फेसबुक से भी ज्यादा तेज है।
जां कॉम कहते हैं कि 2009 में उन्होंने एक ही मिशन से वॉट्स ऐप बनाना शुरू किया था। वे कहते हैं, " एक ऐसा कूल प्रोडक्ट को दुनिया भर के लोग इस्तेमाल कर सकें। इसके अलावा हमारे लिए और कोई दूसरी बात मायने नहीं रखती थी। हमने फेसबुक से अपनी डील साइन की है और हम कोशिश करेंगे हमारा जो मिशन था वो इसी तरह चलता रहे। "
लेकिन दूसरे दोस्त ने पहले को समझाया कि इतनी दूर चलने के बाद मंजिल की आस छोड़नी नहीं चाहिए। और काम चलता रहा। रास्ते में और दोस्तों का भी साथ मिल गया। इस तरह बिना पैसों के प्रयोग के तौर पर शुरु हुआ काम देखते ही देखते लोकप्रिय होने लगा और बाजार में उसकी कीमत बढ़ते बढ़ते अरबों डॉलर की हो गई।
लोकप्रियता बढ़ने लगी तो फेसबुक जैसे लोकप्रिय ब्रांड को उसे खरीदने का प्रस्ताव भेजना पड़ा।
वह प्रोडक्ट था- ' व्हाट्स-ऐप '
Whatsapp biography in hindi
जिसे तैयार किया है जां कॉम और ब्रायन ऐक्टन नाम के दो दोस्तों ने। पढ़िए जो वॉट्स ऐप आज आपके फोन में है वह आखिर आप तक पहुंचा कैसे है!
यह सफर शुरू होता है वॉट्स ऐप के को-फाउंडर जां कॉम की जिंदगी के शुरुआती दिनों से।
जां कॉम 1976 में यूक्रेन के पास एक छोटे से गांव में जन्मे थे। कॉम की मां एक गृहणी थीं और उनके पिता अस्पताल और स्कूल बनाने वाली एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। वे अक्सर घर से बाहर रहा करते थे। जीवन बेहद खस्ताहाल था। घर में रोजमर्रा की चीजें जुटा पाना भी एक कठिन काम था।
बचपन में कॉम और उनकी मां किसी तरह अपना खाना जुटा पाते थे। उनकी मां किसी तरह घर में सबसे लिए खाने और बाकी चीजों का इंतजाम किया करती थीं। वे दिन कॉम की जिंदगी के सबसे चुनौती भरे दिन थे। फिर एक वक्त ऐसा भी आया कि कॉम ने 19 बिलियन डॉलर में खुद के बनाया हुए वॉट्स ऐप की डील उसी वेल फेयर के ऑफिस में साइन की जहां वो एक समय राशन कार्ड लेकर खाना जुटाने के लिए खड़े रहते थे।
और इसी वेल फेयर ऑफिस के बगल में जां कॉम ने वॉट्स ऐप का हेड ऑफिस बनाया। फेसबुक को 19 बिलियन डॉलर में वॉट्स ऐप बेचने के बाद जां कॉम अपने दोस्त ब्रायन ऐक्टन के साथ एक बार फिर उसी वेल फेयर के ऑफिस पहुंचे। ऐसा जिंदगी में पहली बार हुआ जब कॉम अपनी पोर्श ड्राइव करते हुए उस ऑफिस तक पहुंचे।कॉम स्कूल में एक शैतान बच्चे हुआ करते थे लेकिन 18 की उम्र तक पहुंचते हुए उन्होने खुद को कम्प्यूटर नेटवर्किंग में एक्सपर्ट बना लिया। उन्होंने एक हैकर ग्रुप वूवू ज्वाइन किया जिसमें उन्हें इंटरनेट और नेटवर्किंग से जुड़ी तमाम चीजें सीखीं।
1997 में वे सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी गए और वहां खुद को ब्रायन एक्टन के साथ बैठा पाया।
यूनिवर्सिटी में काम करते हुए उन्होंने याहू में नौकरी करना शुरू कर दिया। एक दिन सर्वर में कुछ परेशानी आने पर याहू के फाउंडर फिलो ने कॉम को फोन किया और पूछा कि वह कहां है। कॉम ने जवाब दिया कि मैं क्लास में हूं। फिलो ने कहा तुम क्लास में क्या कर रहे हो? मेरी टीम बेहद छोटी है और यह सर्वर की परेशानी जल्द से जल्द ठीक करनी है।
कॉम कहते हैं कि उन्हें पढ़ाई वैसे भी पसंद नहीं थी। उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।
सन 2000 में जब कॉम की मां की मृत्यु हुई वे अचानक बेहद अकेले हो गए। 1997 में पहले ही उनके पिता की मृत्यु हो चुकी थी। कॉम उस वक्त को याद करते हुए ऐक्टन के लिए शुक्रगुजार महसूस करते हैं। वे कहते हैं कि उस वक्त ऐक्टन ने मेरा बहुत साथ दिया। हम साथ रहते थे। वह मुझे अपने साथ घर ले जाता था। मेरा मन बहलाने के लिए हम सॉकर और फ्रिस्बी खेला करते थे।
2007 में कॉम और ऐक्टन दोनों ने याहू की अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने फेसबुक में नौकरी पाने की कोशिश की पर दोनों नाकाम रहे।
फिर दोनों दोस्त एक कॉफी शॉप में बैठ कर कॉम और ऐक्टन दोनों बात करते रहे। एक ऐप के बारे में सोचते रहे। उन्होंने सोचा कि यह कितना कूल होगा कि एक ऐप का स्टेटस यह बताए कि आप क्या कर रहे हो। जैसे आप फोन पर हो, बैटरी लो है, जिम में हूं।
वाट्स ऐप का नाम रखे जाने में कोई लिस्ट नहीं थी जो बनी और रिजेक्ट हुई हो। कॉम ने एक बार में ही यह नाम सोच कर तय कर लिया था... ''what's up"
इसके बाद ऐप की कोडिंग के लिए कॉम लगातार काम करते रहे। वे लगातार कोड लिखते रहे। और दुनियाभर के मोबाइल में इस ऐप को सिंक करने की कोशिश करते रहे।
शुरुआत में वॉट्स ऐप लगातार क्रैश या हैंग होता रहा। इसके बाद वे लगातार अपने दोस्तों के फोन में ऐप पर काम करते रहे उनके कॉन्टैक्ट को डाउनलोड करते रहे और यह नोट्स बनाते रहे कि कहां कहां दिक्कते आ रही हैं।
what is whatsapp in hindi language - इस बीच एक दिन फ्रिस्बी खेलते हुए कॉम ने ऐक्टन से कहा कि हमें फिर से नौकरी की तलाश करनी चहिए। इस पर ऐक्टन ने कॉम को डपटते हुए कहा कि इतना आगे आकर अब अगर तुम इस प्रोजेक्ट को छोड़ दोगे तो यह बड़ी बेवकूफी होगी।
कॉम के अनुसार शुरू में हमने यह नहीं सोचा था कि यह ठीक-ठीक कैसा बनेगा। हमने सोचा था कि कितना मजेदार होगा कि किसी ऐप में जब भी कोई अपना स्टेटस बदलेगा वह उसके पूरे नेटवर्क में चला जाएगा। जैसे.. मैं नहाने जा रहा हूं बाय।
लेकिन धीरे-धीरे इसमें इंस्टेंट मैसेज जुड़ा। इसके बाद दोनों दोस्तों ने सोचा कि अगर दुनिया भर में काम करने वाला कोई ऐसा ऐप बने जो सभी जगह काम करे और लोग आपस में जुड़ जाएं तो वह बहुत कारगर साबित होगा और ताकतवर भी।
जां कॉम और ब्रायन ऐक्टन ने कॉफी शॉप्स में बैठकर वॉट्स ऐप डेवलप किया। कई साल लगे जब वे लगातार इसी तरह साथ बैठते और काम करते।
कुछ ही सालों का समय लगा और वॉट्स ऐप की कीमत कुछ डॉलर से बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। जब फेसबुक ने वॉट्स ऐप को खरीदा तो कंपनी ने उन्हें 4 बिलियन डॉलर कैश दिए बाकी 12 बिलियन डॉलर के कंपनी के शेयर दिए।
वाट्स ऐप को 2009 में बनाया गया था और पांच साल में आज इसकी ग्रोथ फेसबुक से भी ज्यादा तेज है।
जां कॉम कहते हैं कि 2009 में उन्होंने एक ही मिशन से वॉट्स ऐप बनाना शुरू किया था। वे कहते हैं, " एक ऐसा कूल प्रोडक्ट को दुनिया भर के लोग इस्तेमाल कर सकें। इसके अलावा हमारे लिए और कोई दूसरी बात मायने नहीं रखती थी। हमने फेसबुक से अपनी डील साइन की है और हम कोशिश करेंगे हमारा जो मिशन था वो इसी तरह चलता रहे। "
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